कोरबा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरबा में एसईसीएल के सिंघाली परियोजना के अंतर्गत कोयला खदान में डि-पिल्लरिंग के कारण सिंघाली गांव के आसपास हुए भू-धसान से प्रभावित ग्रामीणों और किसानों को उनको हो रहे नुकसान का उचित मुआवजा देने की मांग की है। पार्टी ने ग्रामीणों की जानकारी और सहमति के बिना और सुरक्षा व्यवस्था का पर्याप्त इंतज़ाम किये बिना जमीन के नीचे कोयला खनन कराने वाले अधिकारियों पर एफआईआर करने की भी मांग की है।
आज यहां जारी संयुक्त बयान में माकपा जिला सचिव प्रशांत झा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के जवाहर सिंह कंवर ने बताया कि कोयला खदान की डि-पिल्लरिंग के कारण सिंघाली बस्ती के आसपास गांव के अंदर की जमीन, घरों में एवं कृषि योग्य और निस्तारी जमीन भू-धसान के कारण प्रभावित हो रही हैं। इस भू-धसान की तस्वीरें जारी करते हुए उन्होंने बताया कि दरारें इतनी गहरी हैं कि वह पूरी तरह कुंयें का आकार ले चुकी है। जान-माल के नुकसान के भय से आस पास के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
माकपा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के एक प्रतिनिधि मंडल ने आज प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और भू-धसान के कारण पैदा हुई गंभीर स्थिति को सामने रखा है। उन्होंने कहा कि एसईसीएल कोरबा क्षेत्र में यह पहली घटना नहीं है। सुराकछार बस्ती और मड़वाढोढा में भी इसके पूर्व भू-धसान की ऐसी ही घटनायें हुई हैं, लेकिन एसईसीएल के अधिकारियों को आम जनता और ग्रामीणों के जानमाल और सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है।
माकपा ने एसईसीएल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि सुरक्षा मानकों के अनुसार भू-धसान रोकने के लिए वह कोई कारगर पहलकदमी नहीं कर रही है। इससे ग्रामीणों में प्रबंधन के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है और ग्रामीणों व अधिकारियों के बीच मारपीट की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
भू-धसान के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कोरबा जिला प्रशासन द्वारा एफआईआर करने की मांग करते हुए माकपा और किसान सभा नेताओं ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले भी प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया गया है, लेकिन वह भी उदासीन है। माकपा ने इस उदासीनता के खिलाफ भू-धसान से प्रभावित सभी गांवों के ग्रामीणों को एकजुट कर शीघ्र ही एक बड़ा आंदोलन करने की घोषणा की है।