पूरा देश सरकार के साथ फिर चीन के खिलाफ ठोस कदम उठाने में देरी क्यों? – कांग्रेस।
रायपुर 22 जून 2020। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि कोरोनावायरस और गुलाम रसूल गलवान के नाम से प्रतिष्ठित गलवान हिल्स में चीनी सेना की घुसपैठ को लेकर केंद्र की मोदी सरकार सरेंडर की भूमिका में है। 5 मई से 15 जून तक 6 हफ्तों का समय भारत ने सेना के मेजर जनरल स्तर की बैठक और बातचीत में व्यर्थ गंवा दिया। परिणाम यह हुआ कि एक कर्नल सहित 20 जवानों की शहादत हो गई और 70 से अधिक जवानों को घायल होना पड़ा। जबकि इस दौरान चीनी सेना ने तीव्र गति से सड़क, बांध और अन्य निर्माण कार्यों को अंजाम दिया और केंद्र सरकार गफलत में रही। फलस्वरूप गलवान घाटी पर भारत सरकार रणनीतिक रूप से नाकाम हो गई। अब कोई यह बताने तैयार नहीं है, कि सैनिकों की शहादत के लिए जिम्मेदार कौन है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा कि कोरोनावायरस और गलवान हिल्स दोनों ही मामलों में मोदी सरकार ने एक तरह से सरेंडर कर दिया है और ठोस समाधान हुए बगैर “ऑल इज वेल“ का नारा दिया जा रहा है। देश को लगता है कि इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी कैसे सब ठीक-ठाक है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने सीमा में भारत की भूमि पर हो रहे निर्माण कार्यों पर चिंता व्यक्त की है तो उसे क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार अपनी विफलता से क्यों मुंह मोड़ रही है। अक्साई चीन में तो 37000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में चीनी सेना का पूरा कब्जा है, वही गलवान हिल्स के बड़े भूभाग पर चीन ने लंबे समय से अपना क्षेत्र बताकर स्थाई तौर से कब्जा किया हुआ है। बाकी हिस्से को भी चीनी सेना कब्जा करने एड़ी – चोटी की ताकत लगा रहा है। सच्चाई यही है कि समुद्र तल से 16500 फुट की ऊंचाई पर स्थित गलवान घाटी पूरी तरह से अभी तक भारत का हिस्सा है। उसी तरह से 134 किलोमीटर पैंगोंग झील भी पूर्ण रूप से भारत का क्षेत्र है। दोनों ही क्षेत्र में चीन अपने कब्जे को लगातार बढ़ा रहा है।केंद्र सरकार का दायित्व है कि देश को विश्वास में ले और समूचे घटनाक्रम से नागरिकों को पारदर्शिता के साथ वास्तविकता से अवगत कराएं और चीन को मुंहतोड़ जवाब दे।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि चीन के खिलाफ उसके नापाक इरादों में 56 इंच के सीने की मोदी सरकार कोई ठोस कार्रवाई करने से क्यों बच रही है? आखिर 20 जवानों की शहादत को ठंडे बस्ते में कैसे डाला जा सकता है? क्या जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी कह देने से ही चीन की सेना सीमा पर चुप बैठ जाएगी? क्यों कोई कदम उठाने से सरकार पीछे हट रही है? जबकि समूचा देश मर्यादा के साथ सरकार के समर्थन में हैं।