राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने की मलेरियामुक्त बस्तर अभियान की समीक्षा

अभियान के प्रथम चरण में दिए गए लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल करने पर दी बधाई
मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अभी और परिश्रम की जरुरत: डॉ. शुक्ला

सुकमा, मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के तहत सुकमा जिले में संचालित कार्यों की समीक्षा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मिशन संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला द्वारा की गई। डॉ. शुक्ला ने सुकमा के दुर्गम वन क्षेत्रों, नदी-नालों और पहाड़ों को पार कर गांव-गांव पहुंचकर मलेरिया जांच के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जिले के स्वास्थ्य अमले की भरपूर सराहना की। उन्होंने कहा कि विकटतम परिस्थितियों में भी प्रथम चरण में लोगों के रक्त की जांच करने का कार्य सफलतापूर्वक प्राप्त करने से इस अंचल के मलेरियामुक्त होने का विश्वास बढ़ा है। उन्होंने राष्ट्रीय परजीवी सूचकांक के बराबर सुकमा जिले का परजीवी सूचकांक लाने तक निरंतर कार्य करने की बात कही और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्षेत्रवार समस्याओं का अध्ययन कर योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने के निर्देश दिए।
डॉ. शुक्ला ने कहा कि मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण के लिए यह मात्र एक शुरुआत है तथा इस दिशा में आगे और भी कार्य करना शेष है। उन्होंने मलेरिया को कुपोषण, एनीमिया, शिशु और मातृ-मृत्यु जैसी कई गंभीर समस्याओं का कारण बताते हुए कहा कि मलेरिया पर रोकथाम की कार्यवाही से ऐसी कई समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। प्रथम चरण में मलेरियाग्रस्त पाए गए सभी मरीजों का संपूर्ण उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि मलेरिया के अधूरे उपचार से मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के लक्ष्य को प्राप्त करना अधिक कठिन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों में मलेरिया के लक्षण नहीं पाए जाने के बावजूद रक्त जांच में मलेरिया के परजीवी पाए गए हैं। ऐसे लोगों का भी सम्पूर्ण उपचार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
उन्होंने मलेरिया के इलाज के स्थान पर मलेरिया के रोकथाम के लिए कार्य करने की आवश्यकता बताते हुए लोगों को मलेरिया के रोकथाम के लिए जागरुक करने पर जोर दिया। उन्होंने मलेरिया के लार्वा पाए जाने वाले सभी संभावित स्थलों में लार्वा नष्ट करने और मच्छरदानी के शतप्रतिशत उपयोग के लिए प्रेरित करने की बात कही। उन्होंने प्रत्येक सदस्य को मच्छरदानी उपलब्ध कराने के निर्देश देते हुए कहा कि सभी लोगों को नई मच्छरदानी का उपयोग करने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने बताया कि नई मच्छरदानियों में ऐसी दवाईयों का उपयोग किया जाता है, जिसके संपर्क में आने पर मच्छरों के डंक सुन्न हो जाते हैं। इससे वे घर के किसी दूसरे सदस्य को भी डंक नहीं मार पाते हैं। उन्होंने कहा कि सभी ग्रामीणों में इस बात की आदत डाली जाए कि वे शाम सात बजे ही मच्छरदानी लगा लें। इसके लिए सभी गांवों में मच्छरदानी लगाने के समय सीटी बजाकर लोगों को सचेत करने को कहा। मच्छरों के लार्वा पनपने के संभावित स्थलों में लार्वा उन्मूलन कार्य के लिए दूसरे विभागों से भी सहयोग लेने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस कार्य में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जल संसाधन, महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, मत्स्यपालन विभाग आदि विभागों को भी दायित्व दिया गया है।
कलेक्टर श्री चंदन कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य अमले के द्वारा सुकमा जिले के दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचकर लोगों की मलेरिया जांच का सराहनीय कार्य किय गया है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के बेहतर क्रियान्वयन के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया जाएगा। उन्होंने मलेरियामुक्त बस्तर अभियान के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए परिणाम की प्राप्ति तक कार्य करने की बात कही। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीकारीगण उपस्थित थे।

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